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RASHI SRIVASTAVA

Abstract

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RASHI SRIVASTAVA

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होली एक बहाना है

होली एक बहाना है

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होली एक बहाना है

अपना उसे बनाना है


जो ना फीका पड़े कभी

ऐसा रंग लगाना है


मैं उसकी राधा बन जाऊं

कान्हा उसे बनाना है


उसके अधरों वाली बंसी

अपने अधर सजाना है


मैं उसकी हो ली, अब तो, हर होली

उसके संग मनाना है।


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