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Sapna Aggarwal

Abstract

4.5  

Sapna Aggarwal

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हो सके तो माफ़ कर देना मुझे

हो सके तो माफ़ कर देना मुझे

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हो सके तो माफ़ कर देना मुझे,

मैं तुझे बचा ना सकी

सोचा था,

जब तुम इस दुनिया में आओगी,

सबसे पहले मैं तुम्हें अपनी गोद में उठाऊंंगी।

तुम्हें अपने कलेजे से लगााऊंगी।


सोचा था,

तुम्हारे नन्हे नन्हे पैरों के लिए पायल लाऊंगी,

जिन्हे पहन तुम इधर उधर घुमोगी,

और मेेेरे सुनें आंगन को आबाद करोगी।


सोचा था,

मैं तुम्हें हर खुशी दूंगी,

तुम पर अपना सारा प्यार लूटाऊंगी।

सोचा था,

तुम मेरी दोस्त बनोगी,

मेरे सुख दुुख की सााथी बनोगी।

मेरे वो सपने, वो इच्छाएं जो अधूरी रह गई थी,

मैं तुमसे पूरी करूंगी।

मैं जीयूंगी,

मैं फिर जीयूंगी, तुम में।


लेकिन,

लेकिन मैं भूल गई थी,

कि इस जमाने को बेटी मंजूर नहीं।

तुझे जिंदगी देने के लिए मैं लड़ी तो,

पर हार गई।

ये सदियों पुराना बेटा बेटी का

फर्क मैं मिटा ना सकी।


बेटी हो सके तो माफ़ कर देना मुझे,

मां हो कर भी बचा ना सकी मैं तुुझे।


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