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Sonnu Lamba

Abstract

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Sonnu Lamba

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हंसी

हंसी

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उम्मीदें धुंधला रही हैं 

मन रह रहकर घबराता है

उसने कहा !


वो देखो नव अंकुर

प्रत्येक बीज, अथाह घुटन

और सन्नाटें को चीर कर ही 

रोशनी की किरण देख पाता है 

मैने कहा !


कहना क्या चाहती हो ? 

यही कि 

घबराहट, संघर्ष, नाउम्मीदी

ये सब भी जीने की निशानियां है !


अब तुमसे कोई कैसे जीते ? 

केवल एक ही तरीका है

मेरी बात मान ली जाए 

मैंंने कहा ! 


फिर वो बहुत देर हंसता रहा

उसने कुछ नहीं कहा !


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