यादें
यादें
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मेरी बिटिया और उसके पापा,
जब मिलकर, बना रहे थे,
भिंडी की सब्जी...
देखो तो पापा, नमक कितना डालूं..
ये कौन सा मसाला है,
ये भी डलता है क्या...पापा..!
तब मुझे याद आ रहा था...
अपने पिता की बनायी भिंडी का स्वाद..
वे कैसे बनाते होंगें..
वो स्वादिष्ट सब्जी ..
जिसका स्वाद अभी तक मन नहीं भूला..
नहीं भूला, मन कि
पिता भी बनाकर खिला सकते हैं खाना,
खाना पकाना केवल मम्मियों का काम नहीं होता..!
मैं अपने बचपन में खोयी थी...
और बेटी, बोल रही थी..
मम्मी देखो !
पापा ने कितनी टेस्टी सब्जी बनायी है,
और मैं बिना चखे ही, कह गयी...
हां... बहुत ही स्वादिष्ट है....!!
