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Rajiv Jiya Kumar

Abstract

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Rajiv Jiya Kumar

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हमारे प्रधान जी

हमारे प्रधान जी

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सारे संतरियों में

ऊपर हैैं सबसे ऊपर 

हमारे प्रधान जी,

हो जाए सावधान जी

नपी तुली जुबां से

कर रहे हैैं अब ये

हाल देेश का बयां जी।।

हर आम और खास 

मेरे संगी और साथियों

सुनिए सब बंधुओं,

वर्षों से जतन कई लगाई

कई जहमत है उठाई

तब प्रधान की कुुुुर्सी यह

अब हाथ मेेेरे है आई।।

सुनें, कष्ट आपके

दिए हैैं सब उनके

जिनको आपने 

पिछली प्रधानी थी सौंपी,

कर क्या सकता हूँ 

अब मैं भी मेरे भाई,

दुःख,दर्द,अभाव,

भ्रष्टाचार, अत्याचार 

इन सब की फसलें

मेरे पहले आए प्रधानों से

आपने हीं है लगवाई।।

कविमन मेरा बस हो स्नेह सिक्त 

बेशर्मी और बेफिक्री को

बकवास और बड़बोलेपन को

अमरलता की तरह

संपूर्ण मन मस्तिष्क पर है उगाई।।

बस इस तरह ही होना है

अपने समाज को विकसित

छुपी है इसमें सबकी भलाई 

धन्यवाद उपस्थित माई और भाई

सहजता से यह कह

वह चल दिए 

जो काली स्याही मैं उनके लिए लाया

उसे वह मेेेरे हीं मुँह पर उङेल दिए।।

             


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