STORYMIRROR

Taj Mohammad

Abstract Tragedy Inspirational

4  

Taj Mohammad

Abstract Tragedy Inspirational

हम बुरों को बुरा ही कहना।

हम बुरों को बुरा ही कहना।

1 min
287

कुर्आन की हर आयत से जिंदगी को समझना।

यूँ दिखावे की खातिर मस्जिदों में नमाजें ना पढ़ना।।1।।


क्यूँ लगे रहते हो हर वक्त यूँ फिक्रे खुदा में।

वह जिक्रे खुदा है हर पल तुम फिक्रे खुदा ना करना।।2।।


जो पल बीता उसको याद करके क्या बीतना।

यूँ भागे हुए वक्त का कभी पीछा ना करना।।3।।


कभी तेरे शहर आना हुआ तो मिलूंगा मैं तुझसे।

यूँ फोन पर क्या तआर्रूफ दूँ मैं अपना।।4।।


हम बुरों के बिना तुम अच्छों को कौन जानेगा।

अपनी पहचान की खातिर हम बुरों को बुरा ही कहना।।5।।


अब तो अपने भी भीड़ में शामिल हो गए हैं। 

रिश्तों की दुहाई देकर अब मुझसे कुछ ना कहना।।6।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract