हम भारत के लोग
हम भारत के लोग


हम भारत के लोग
अजब है ये संयोग
कहते हैं सब यहाँ
संविधान का है योग
लेकिन आज भी देखो
अलग अलग है सोच
धर्म जात के नाम पर
बैठे है सब बंटकर
फिर भी हैं हम एक
एक धर्म की बात नहीं
हर धर्मों में है ये रीत
मतभेद रखे है मन में
नहीं है कोई ये जोड़
संविधान बांधता है हमकों
कानून के धागों से
बांध नहीं पाया लेकिन
मन के टूटे तारों को
हकीकत नहीं रहे देख
कब होगा फिर भारत एक
लाना है बस यही सोच
बन जाये नागरिक हम
हम भारत के लोग!