हक़ीक़त से दूर
हक़ीक़त से दूर
भोली भाली हक़ीक़त से दूर ख़ुशियाँ तो मना रही,
हक़ीक़त से अंजान होकर ख़ुशियाँ बहुत मना रही।
हम दोनों एक दूसरे से शादी करने वाले लगा तुम्हें,
हक़ीक़त में मेरा नहीं किसी ग़ैर की होना ही तुम्हें।
तेरी मेरी सगाई सिर्फ़ दिखावे के लिए सुन हुई थी,
हमारे तुम्हारे परिवार वालों के सामने ही ये हुई थी।
याद कल ही तेरी मेरी फोन पर बातें तो हुई ही थी,
हमारे एक यार की वजह से दूरियाँ बढ़ ही गई थी।
किसी ने तुम्हारे माँ बाप को भड़काया बहुत ही था,
उनके कानों में ज़हर घोलने का काम किया ही था।
हक़ीक़त से दूर अभी तेरा होने वाला ग़ैर शौहर भी,
अब तेरी मंजिल मैं नहीं कोई ग़ैर अंजान यह सही।