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Monika Sharma

Inspirational

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Monika Sharma

Inspirational

हिन्दुस्तान को दिल से अपनाओ

हिन्दुस्तान को दिल से अपनाओ

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वीर रस से सींची यह कविता 

जो गाती आज़ादी की वाणी है,

सिंधू घाटी सभ्यता है रचनाकार जिसकी, 

यह इस भारत की कहानी है। 


हिमालय ऊर्ध्वशीर्ष, अटल खड़ा,

भारतवर्ष के सरताज मणी सा जड़ा,

विशाल सरिताएँ यहाँ गंगा, गोदा, कृष्णा, ब्रह्मपुत्र, तापी, नर्मदा,

है झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलुज का पंजाब बना। 

वेद,सनातन, ग्रंथो का जहाँ प्रचार-प्रसार हुआ, 

'सोने की चिड़िया' से विख्यात हिन्दुस्तान हुआ। 


मुगलों के शासन में जब युद्धों का लगा ताँता था, 

लड़े वीर शिवाजी मराठा के,

तो हल्दीघाटी का सूरमा मेवाड़ी राणा था। 

कैसे ना इस जननी की छाती में स्वाभिमान समाया हो,

जिसने लक्ष्मीबाई, हज़रत, चेन्नमा, रज़िया जैसी वीरांगनाओं को गोदी में खिलाया हो। 

रक्त से सिंचित ये भूमि ना कभी कलंकित हुई, 

जौहर की अग्नि भी पावन चुन्नरियों सी अमर हुई। 


आज़ादी का अनुबंध ना कागज़ी दस्तावेज से आया है -

लहू की नदियों में नहाकर, अग्नि में तप कर, टुकड़ों में बंटकर हमने हिन्दुस्तान बनाया है..

गोलियों की बारिश में जलियांवाला श्मशान हुआ,

लाठियों के आगे देखो मरने लाला राय आया है। 


मौत की दहलीज़ पर जो 'रंग दे बसंती' लिख आया,

लाहौर में विस्फ़ोटों से जो गोरों की नींव हिला आया, 

स्वतंत्रता सेनानी वो,वीर, शहीद भगत सिंह कहलाया। 

'सरफरोशी की तमन्ना ' अदम्य जो आव्हान रहा, 

अश्फाकुल्ला खान, राम बिस्मिल का 'काकोरी' भी क्रांति का विधान रहा।

उल्लास की गूंज की नगरी जो कलकत्ता नाम से है विख्यात, 

मातम की काली छाया का था कहर, हवाएं गाती थी वहाँ ध्वंस राग। 


चन्द्रशेखर आज़ाद और प्रफुल्ल चाकी का बलिदान महान, 

सुभास बोस के मार्गदर्शन में हुआ 'आज़ाद हिंद फौज' का निर्माण, 

नेहरू, सरदार, जयप्रकाश और गांधी ने गुलामी नकारी थी,

सरोजिनी, उषा, कस्तूरबा की तैयारी भी जारी थी।


ना करुणा, ना वेदना का मुझपर कोई अधिकार है,

गौरवान मेरी भूमि जिसकी आज़ादी का शहीदी ही सुराग है, 

अनगिनत बलिदानों की मेहर

काला -पानी की बेरहम कैद

से आज़ाद मेरे स्वर आज बुलंद गीत गाते हैं,

सरहद पर तैनात हर वीर की महिमा के आगे शीश नवाते हैं।


ना पद दलित हो मानवता, ना संविधान के शब्दकोश व्यर्थ हो, 

जुड़ो नींव से ऐसे तुम कि शमशीरों के आगे भी ना असमर्थ हो, 

प्रण लो तुम रक्षा की, उसके आँगन की, जो सरहद का रखवाला है, 

तोड़ मज़हब की दीवारें हिन्दुस्तान को दिल से अपनाओ, 

अनेकता में एकता का देखो फिर क्या सुन्दर नज़ारा है।



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