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हिन्दी

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हिंदी अपना श्रृंगार, करो इससे तुम प्यार

इसे जन -जन के दिल में बसाओ

राष्ट्र भाषा को शीश नवाओ


जैसे माथे पे सजती है बिंदी

वैसे भारत की भाषा है हिंदी 

इसमें ममता अपार, ये है सुख का आगार 

इसकी ज्योति को जग में चमकाओ 

राष्ट्रभाषा को शीश नवाओ


अपनी हिंदी है एकता का स्रोता

ये वो धागा जो माला पिरोता

चाहे पंजाबी हो चाहे बंगाली हो

चाहे मलयाली हो या सिंधी

 सबको एक करेगी हिंदी

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अपने घर में उदासी रहे क्यों

जल में रहकर भी प्यासी रहे क्यों 

इसके कष्ट हरो, इसमें नवरंग भरो 

इसकी रग-रग में ख़ुशियाँ बहाओ

राष्ट्रभाषा को शीश नवाओ


मेरे भारत के जन अब जागो

अपनी भाषा का दामन थामो

इसको बोलो पढ़ो, इसमें काम करो

इसको जीवन में तुम अपनाओ

अपने भारत को उन्नत बनाओ


हिंदी अपना श्रृंगार, करो इससे तुम प्यार

इसे जन -जन के दिल में बसाओ

राष्ट्र भाषा को शीश नवाओ



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