क्यों करते हो दान मुझे
क्यों करते हो दान मुझे
मैं भी अंश तुम्हारा बाबुल ,
क्यों करते हो दान मुझे
वस्तु नहीं जीवित हूँ सुत सी
क्यों न मिला वो मान मुझे
मैंने जन्म लिया बेटी बन,
पालन पोषण संग पाया
शिक्षा दीक्षा में भी बाबुल
फर्क नहीं कोई आया
जिस उपवन में जन्म लिया है
आप उसी के हैं प्रहरी
कन्यादान से इसे न काटें
भीतर तक पीड़ा गहरी
करो पराई तुम मत मुझको
संबंधों का भान मुझे
मैं भी अंश तुम्हारा बाबुल
क्यों करते हो दान मुझे
क्या केवल शादी करने से,
नेह डोर ये जाती टूट
क्या केवल मंत्रो से बाबा
रिश्ते जन्म के जाते छूट
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बरसों पल-पल पाला जिनको
यादें वो साँसें मेरी
बनूँ आपकी लाठी बाबा
बचपन से ये आस मेरी
छोड़ के बेटा- बेटी अंतर
मानो बस संतान मुझे
मैं भी अंश तुम्हारा बाबुल ,
क्यों करते हो दान मुझे
रस्मरिवाज है मानव के हित
बदलें उन्हें समय के साथ
वस्त्र पुराने होकर फिंकते
आता अरुण निशा के बाद
पुनर्जागरण स्वर गुंजन से
गुंजित होते जीवन तार
क्यों निर्जीव बंदरिया से हम
चिपकें बिन सोचे हर बार
हर सुख दुख में साथ निभाऊँ
करो न तुम मेहमान मुझे
मैं भी अंश तुम्हारा बाबुल
क्यों करते हो दान मुझे