हिंदी हूं मैं
हिंदी हूं मैं


प्रिय देशवासियों
जन्म के साथ सुनते हैं आगे बढ़कर लिखते हैं।
जननी हैं जो उसे कहना,सुनना,लिखना उसी से करते हैं
आज शर्म आती हैं, पर विचार उसी में रखते हैं।
सोचते हैं , खाते हैं ,बोलते हैं ,लिखते हैं , चलते हैं , सुनते हैं ,
गुनगुनाते हैं पर कुछ गलत विचारों से उसका अपमान कर जाते हैं ।
छोड़ दी है खाली जगह लिखा बीच में क्या तुम्हे पढ़ना है
कागज़ पर मन की भाषा का अर्थ समझना है
और जो भी अर्थ निकालो वो मुझे मंजूर है।
गर्व से ऊंचा शीश, मौन अदब ,आंखो में सम्मान, या कोरा कागज।
सबका अर्थ मेरी मातृभाषा हिंदी है।