हिम्मत और किस्मत
हिम्मत और किस्मत
हिम्मत मेरी टूट रही है...
मेरी किस्मत मुझसे रूठ रही है...
ख्वाहिशें सब छूट रही है...
सपनों की दुनिया झूठ लग रही है...
न जाने क्यों सब अंजान सा है...
जिंदगी जैसे घुट रही है...
घड़ी की टिक टिक भी चुभ रही है...
जैसे सदियाँ पीछे छूट रही है....
हिम्मत अब मेरी छूट रही है....
किस्मत भी मुझसे रूठ रही है...