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Vishu Tiwari

Abstract Classics

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Vishu Tiwari

Abstract Classics

हे मोहन

हे मोहन

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 हे मोहन घनश्याम, हरो अब पीर हमारी।

आ जाओ व्रज धाम, पुकारें सब नर-नारी।।

धरो सुदर्शन हाथ, नाथ काटो भव बंधन।

हरो त्रास जगनाथ, कर रहा है जग क्रंदन।।


गोवर्धन   गोपाल, करो रक्षा गईयन की।

त्रासित हैं सब ग्वाल,लाज राखो भक्तन की।।

सूना   है मधुमास, नन्द नन्दन क्यूं रूठे।

कालिया करै नित रास,सांच पर भारी झूठे।।


मथुरा अब भी त्रस्त, कहां हो मदन मुरारी।

बैठा घर-घर कंस, बना है अतयाचारी।।

झेल रहे सब दंश, पीर उर की हर लीजै।

मुक्त करो हे नाथ, कृपा भक्तन पर कीजै।।


हरो हमारी पीर, नाथ अब तो आ जाओ।

नहीं रहा मनधीर,धैर्य अब तुम्हीं बंधाओ।।

क्षमा करो हे नाथ,आन प्रभु विपदा टारो।

पकड़ो मेरो हाथ, कष्ट से मुझे उबारो ।।


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