Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kuldeep kumar Pandey

Abstract

5.0  

Kuldeep kumar Pandey

Abstract

है पथ जाने को मंजिल तक

है पथ जाने को मंजिल तक

1 min
200


है पथ जाने को मंजिल तक,

पर राहें हैं आसान नहीं,

खतरों को देख लौट जाए जो,

मैं वैसा इंसान नहीं।


पर राह खडी़ है,

खुद में मुसीबतों का अनन्त तूफाँन लिए,

अपने हर कदम को मैं पीछे खीँचूँ,

ऐसे प्रयत्न बारम्बार किए


उन राहों से कहदो जाके,

आया एक सिरफिरा मस्ताना,

हर खतरों से लड़ने का,

उसने मन मे है अब ठाना।


पत्थर को चीर दिखाया जिसने,

ये उस समाज का दीपक है,

थे भगत सिंह आजाद जहाँ के,

ये उस मिट्टी का कुलदीपक है।


जाओ उन मृतकों से कहदो,

डर कर कब तक जी पाओगे,

झुका के मस्तक इस समाज में,

क्या खुद से नजर मिला पाओगे।


उठो अभी से अब भी वक्त है,

पर्वत को चकनाचूर करो,

हमसे भी ऊँचे हैं वे,

उनके इस मद को अब तुम दूर करो।


Rate this content
Log in