हार न मानी क़िस्मत से!
हार न मानी क़िस्मत से!
सपने देखना ही छोड़ दिया,
जबसे सपना टूटता रहा।
टूटे सपनों को जोड़-जोड़,
नई ज़िंदगी जीता रहा।
हार न मानी क़िस्मत से,
बार-बार देखता रहा।
हसर जो भी हो ज़िंदगी का,
मैं न डरा जीता रहा।
सपने टूटता रहा,
दिल बैठता रहा,
और मैं हारता रहा।
हार न मानी क़िस्मत से
मैं देखता रहा,मैं देखता रहा।