हाँ मैं नाटक ही तो करती हूँ..
हाँ मैं नाटक ही तो करती हूँ..
सही कहा तुमने मैं नाटक ही तो करती हूँ,
दिन भर भूखी प्यासी रहकर तुम्हारी लंबी उम्र की कामना जो करती हूँ,
तुम्हारे सूने मकान को अपने प्रेम और स्नेह से घर बनाकर भी,
नेम प्लेट पर अपने नाम के लिए जीवन भर तरसती हूँ,
तुम्हारे खातिर अपना सर्वस्व कुर्बान करके भी, मैं कहाँ अपना वर्चस्व रखती हूँ,
तुम्हारे सपनों को पूरा करने के खातिर, अपनी खुशियों को पीछे रखती हूँ,
जीवन भर तुम्हारा साथ देकर भी, हर बार स्वार्थी होने का तमगा मैं ही तो पहनती हूँ,
सच कहा तुमने, जीवनपर्यंत तुम्हें निस्वार्थ प्रेम करने का मैं नाटक ही तो करती हूँ....
