"हिंदी का सम्मान "
"हिंदी का सम्मान "
अपने ही देश में हिंदी के साथ ये क्या हो रहा है,
राष्ट्रभाषा होकर भी सबके मुँह से गुणगान अंग्रेजी का ही हो रहा है,
अब अंग्रेजी बोलना ही सभ्यता का परिचय हो गया है,
हिंदी बोलने वाला कहीं पीछे रह गया है,
माँ और पिताजी को मॉम और डैड संग अपने ले गया है,
रिश्तों में अपनापन कहीं खो गया है,
अब बच्चों के पढ़ने का मीडियम इंग्लिश हो गया है,
क्या हिंदी मीडियम में पढ़ने से उनका ज्ञान अधूरा रह गया है,
ज्ञानी होकर भी हिंदी भाषी हिचकिचाता है
और टूटी फूटी अंग्रेजी बोलने वाला भी खुद को पंडित कहलवाता है,
अब इस धारणा को हमें बदलना है,
अपनी भाषा को गर्व से अपनाकर सम्मानित इसे करना है,
भाषा चाहे कोई भी हो सबका अपना स्थान है,
पर भाषाओं की जननी हिंदी भाषा ही हमारा मान है....
