हां मैं ही हू नारी...
हां मैं ही हू नारी...
हां मै ही हू नारी,
जो हार कर भी कभी ना हारी।
सबका खयाल रखा कभी न की मनमानी,
आपने कहा तो ठीक ही होगा
कभी अपने मन की न जानी।
हां मै ही हू नारी,जो हार कर भी कभी ना हारी।
हर वक़्त छुपाती रही सबसे अपनी कहानी,
सबका माना तो करने लगे अपनी मनमानी
टीचर हमें लीड करें ताकि हम लीड कर सकें और मजबूत होना सीखें।
सूरज, चंदा, तारा आसमान में कभी ना हारा,
नारी ही है सुख दुख का सहारा।
हां मै ही हू नारी,जो हार कर भी कभी ना हारी।
पिता, पति, पुत्र में इतनी खो गई,
हां में ही अपनी ज़िन्दगी में खुद को भूल गई।
हां मै ही हू नारी,जो हार कर भी कभी ना हारी।
परिवार की खुशी को अपनी खुशी मानी,
फिर भी फीमेल डेडीकेशन में स्वार्थ की कहानी।
हां मै ही हू नारी,जो हार कर भी कभी ना हारी।
हार कर भी कभी न हारी ये इसलिए कहा है
क्योंकि अपनों की सफलता में मेरा स्वमान रहा है।
हां मै ही हू नारी,जो हार कर भी कभी ना हारी।
आज की यह कविता ख्याति संग सभी नारियों पर वारी वारी,
हां मै ही हू नारी,जो हार कर भी कभी ना हारी,
हां मै ही हू नारी,जो हार कर भी कभी ना हारी।