हाँ मै नारी हूँ
हाँ मै नारी हूँ
मैं नारी हूं छली गई हूँ सदियों से ही अपनों से,
कभी सीता बन भटकी हूँ मैंं वन-वन,
कभी द्रोपदी बन आयी हूँ सबके हिस्से में,
किया है चीर हरण मेरे ही अपनो ने,
दांव पर लगी हूँ उसी के हाथों जो है मेरा रखवाला।
हाँ मैं एक नारी हूँ।
युगो युगो से दी है अग्नि परीक्षा,
कभी सीता बन तो कभी यशोधरा बन कर,
छोड़ घर-द्वार कहलाये वो तथागत,
मैंंने जो छोडा होता तो कहलाती कुलटा मैं,
युग बदले है पर न बदली हैं हालत मेरी,
आज न घर में न बाहर सुरक्षित हैं अस्मत मेरी।
कहीं पैदा होने से पहले ही नाली में बहाया जाता मुझको,
कहीं दहेज के लिए जिंदा ही जलाया जाता मुझको,
कहीं ऑनर किलिंग की खातिर अपने ही बने हैं जान की दुश्मन मेरे,
हाँ मैं नारी हूँ।
अपनी दुश्मन मैं खुद भी कम तो नहीं
कभी सास कभी ननद कभी एक नया रूप धरकर
जकडा है मैंंने खुद को ही न जाने क्यों कर,
नहीं छोडा है दामन उम्मीद का मैंंने
राह अपने ही भरोसे पे बनायी है मैंंने
पहुंच हूँ सरहद से चाँद सितारों तक मैं
घर को जन्नत बनाने का हुनर रखती हूँ मैं
हाॅ मैं नारी हूँ नव-सृजन करने का हुनर रखती हूँ मैं।
मैं नारी हूँ ।