STORYMIRROR

Shwetambari Tiwari

Abstract

2  

Shwetambari Tiwari

Abstract

बारिश

बारिश

1 min
147


सावन एक सपना सच होने जैसा 

बूँद बूँद धरा को तप्त करता अंबर।

ऊमस माँ की कोख बन नव सृजन 

करती कोपलों का।

धानी रंग में रच माँ का आँचल

करती नव श्रृंगार जैसे कोई दुल्हन।

सौंधी खूशबू मिट्टी की , बांवरा कर देती

बच्चों संग बूढो को बनती एक बार फिर 

कागज की कस्ती जिसमे बैठ घूम आते

जाने कहाँ कहाँ हम।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract