धानी रंग में रच माँ का आँचल करती नव श्रृंगार जैसे कोई दुल्हन। धानी रंग में रच माँ का आँचल करती नव श्रृंगार जैसे कोई दुल्हन।
टूटे ख़्वाबों के शीशे फिर जुड़ने लगे हैं, लू की थपेड़ों से राहत मिली है, देखो ज़रा फिर से ठंडी ... टूटे ख़्वाबों के शीशे फिर जुड़ने लगे हैं, लू की थपेड़ों से राहत मिली है, देख...
बॉलकनी में रखे गमलों के पौधों पे कुछ कलियां महक गईं, बॉलकनी में रखे गमलों के पौधों पे कुछ कलियां महक गईं,
महक सौंधी सी रूहानी चाहतों पे बिखरे, महक सौंधी सी रूहानी चाहतों पे बिखरे,