STORYMIRROR

Laxman Dawani

Romance

3  

Laxman Dawani

Romance

गज़ल

गज़ल

1 min
199

प्यार ज्यादा नही ज़रा दे दो

ज़ख्म फिर कोई तुम हरा दे दो

प्यासे हैं एक अरसे से यारा

अपने आँखों का मयकदा दे दो


तपते सहरा पे चल रहा हूँ मैं

अपने ज़ुल्फ़ों की ये घटा दे दो

दूर तो कर दिया है नज़रों से

कुछ दवा दो या दुआ दे दो


दिल संभल जाए अब ये मेरा

भी वो मुहब्बत का फलसफ़ा दे दो

ढूँढता फिर रहा हूँ मैं जिस को

उस खुशी को मेरा पता दे दो


दर्द को ढाल अपने शेरों में

इस गज़ल में वो काफिया दे दो

ढल रही साँसें ज़िन्दगी की

अब जीने का कुछ तो हौसला दे दो


এই বিষয়বস্তু রেট
প্রবেশ করুন

More hindi poem from Laxman Dawani

गज़ल

गज़ल

1 min পড়া

गज़ल

गज़ल

1 min পড়া

Similar hindi poem from Romance