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Laxman Dawani

Others

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Laxman Dawani

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गज़ल

गज़ल

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ज़ख्म जिनसे दिल पे खाते हम रहे

जान उन पे ही लुटाते हम रहे


खुश्क लबपे तिश्नगी को रखके हम

बाँकपन से खिलखिलाते हम रहे


बेवफ़ा कहता रहा हम को जहाँ

सर झुका कर गिड़गिड़ाते हम रहे


बोलती मूरत बनाने के लिए

पत्थरों से दिल लगाते हम रहे


रौशनी के ख़्वाब थे आँखों में बस

पास जुगनू को बुलाते हम रहे


बदलेगा ही वक्त भी करवट मेरा

इस लिए राहें सजाते हम रहे


गिरह हिज्र में दिल सुर्ख तन उजला बना

चोट खाकर मुस्कराते हम रहे


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