गूंजे सकल विश्व में वाणी
गूंजे सकल विश्व में वाणी
गूँजे गूंजे सकल विश्व में वाणी तुम्हारी।
क्यों हो इतने हताश , जीवन से निराश,
स्पर्श से तुम्हारे स्पंदित धरा , सारांश तुमसे ही है सारा।
अकेले नहीं हो तुम,सकल विश्व तुम्हारे साथ,
सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ कृति , सहेज साहस , बढ़ो , साधन के साथ।
दृढ़ संकल्प प्रेरक तुम्हारे , आत्म विश्वास पूंजी तुम्हारी,
जलाओ अलख विद्या की , निशंक गगन चुमेंगी सफलता तुम्हारी ।
आत्म हत्या नहीं है उचित उपाय , असत्य तुम्हे यूं ही भरमाए।
क्या है जो तुम पा सकते नहीं , कहां है , जहां तुम जा सकते नहीं,
चांद से पार दृष्टि तुम्हारी , निर्भीक , दूर तक जाएंगी, कहानी तुम्हारी,
तुम सुनो सबकी , सब सुने तुम्हारी , करो जतन , गूंजे सकल विश्व में वाणी तुम्हारी।।