गुरूर
गुरूर
पैसे से बढ़ता है गुरूर,
संस्कार से बढ़े परिवार,
देख लो तुम भी भईया,
जीवन में है किसकी दरकार।
अज्ञानी जो मिले बहस में,
ना करना उस से शास्त्रार्थ,
बिना वजह समय तुम्हारा,
कर देगा वह बरबस बरबाद।
गर ना समझे कोई तुमको,
ना होना कभी उस से नाराज,
कबाड़ी समझ उन लोगो को,
जो परख सके ना हीरे को।