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Priyanka Tripathi

Abstract

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Priyanka Tripathi

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ग्राम की आबो-हवा

ग्राम की आबो-हवा

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भोर हुई  दिनकर निकला,

देख स्वर्णिम-आभा मन उजला।

खग - विहंग करते कलरव,

निद्रा तज किया सूर्य नमन।१।

स्वच्छ शान्त वातावरण,

हरियाली सर्वत्र।

शुद्ध शीतल हवा बहे,

नंगे पांव करें भ्रमण।२।

सन - सन पवन चले,

विटप झूमे मस्ती में।

पुष्प खिले डाली-डाली,

खिले रूप बाड़ी-बाड़ी।३।

भोर कृषक खेत पर जाता,

सांझ ढले आता सदन।

दिन भर पसीना बहाता,

फिर भी नित्य रहता प्रसन्न।४।

पशु स्वच्छंद करें विचरण,

अधिक गर्मी पड़ने पर।

पोखर में स्नान कर,

करते राहत महसूस सब।५।

संगी - साथी संग बालक,

करते भिन्न-भिन्न क्रीड़ा।

कभी मिट्टी के खिलौने बनाते,

और कभी खेलते गुल्ली-डंडा।६।

सभी बालाएं मिलकर,

जल भरती पनघट पर।

नीम पर झूला डाल,

झूले-झूला, गीत गाए सावन पर।७।

अम्मा चूल्हे पर,

बनाती दाल-भात।

और कभी बनाती,

रोटी  -  साग।८।

घर के आंगन में मिल बैठ,

करें हंसी - ठिठोली सब।

एक दूजे का सुख-दुख बांटे,

सहयोग के लिए रहें तत्पर।८।

पीपल की छांव में,

चबूतरे पर चौपाल लगे।

सब आपस में साझा करें,

अपनी औ गांव की समस्याएं।१०।

सांझ ढले कौड़ा जले,

काका-बाबा आलू भूनें।

औ बताएं पुराण की बातें,

काकी - दादी किस्सा कहें।११।

खुले आसमान तले,

बिछाए चारपाई सब।

किस्सा सुनते-सुनाते,

मीठी नींद सो जाए सब।१२।

ग्राम की आबो-हवा निराली,

यहां मिलता शुद्ध पय-खाद्यय।

उर में बसता प्यार यहां,

हर्षित हयात नहीं यहां छद्म।१३।



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