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गौरव मौर्या

Inspirational Tragedy

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गौरव मौर्या

Inspirational Tragedy

गोद की परीक्षा

गोद की परीक्षा

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गर्भ में लिए एक नन्ही सी जान को,

परीक्षाएं देने आती हैं स्त्रियाँ

गोद मे लिए नन्ही सी जान को,

परीक्षाएं देने आती हैं स्त्रियाँ

क्या कभी किसी से पूछा उनसे

कि....

कितनी तकलीफ़ होती है इस अवस्था मे..

कई बार तो बीच परीक्षा में...

अचानक से दर्द उभर जाता है।

तो कई बार गोद में सोया बच्चा,

भूख से रोते हुए जाग जाता है।

फिर क्या...!

सभी उसे चुप कराने को कहने लगते है,

कई बार तो कक्ष निरीक्षक डॉट भी देते है!

माना कि उसकी वजह से ..

परीक्षा में बाधा उत्पन्न होती है!

लेकिन वो भी करे तो क्या करे..

ज़रा उसकी व्यथा समझने की कोशिश करें!

एक तरफ उसकी परीक्षा छूट रही है,

दूसरी तरफ उसकी खुद की अनकही जिंदगी।

आज समाज में महिलाओं को,

कुछ इस तरह से समझौते करना सीखा दिया है,

कि....!

वो न तो खुल के कुछ कह सकती है,

और न ही खुल कुछ बता सकती है।

लेकिन स्त्रियों वाली सारी जिमेदारियाँ..

चुप-चाप निभाती जाती है।

इतना सब सहते हुए...

अनगिनत, अनकही,असामाजिक और दर्दनाक,

समस्याओं का मुंह तोड़ जवाब देते हुए..

हर परीक्षाओं में...!

चाहे वो रोजगार से संबंधित हो,

या हों जीवन से संबंधित!

सभी मे नित नए मुकाम हासिल करती जा रही है।

इसलिए हमारा भी उनके प्रति..

अतिआवश्यक कर्तव्य है!

कि हर मोड़ पर उनका साथ निभाएं!

ताकि वो भी हर जगह आदर पाएं।


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