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Mohd Naseem

Romance

3.8  

Mohd Naseem

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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उसके तबस्सुम की गजब जादूगरी है,

वीरान बस्ती भी गुलज़ार हो जाए,


खिजां के रंग भी सतरंगी होने लगें, 

उसके आने से बहार बहार हो जाए।


जिंदगी का हर लम्हा खुशी का बाएस हो,

गर हम पे उसको एतबार हो जाए,


ख्वाब खुशनुमा वा रात महकेगी,

सर-ए-शाम उसका दीदार हो जाए,


उसकी खुशबू और ज़ानों पा सुकून,

नसीम ए ज़िंदगी यादगार हो जाए।



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