ग़ज़ल
ग़ज़ल
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आज फिर से हो उजाला वो दिया रोशन करें
हर तरफ है अब अँधेरा रास्ता रोशन करें।
देश अब आगे बढ़े ये सोचना है आजकल
रौशनी हो सब घरों में सिलसिला रोशन करें।
भूख से कोई मरे ना ,ना जलें फिर बस्तियाँ
अब चलो मिलकर सभी फिर ये जहां रोशन करें।
भूलकर मतभेद सारे साथ फिर से हम चलें
अब रहे ना बैर कोई दिल जरा रोशन करें।
हो सभी शिक्षित यहाँ पर आप कुछ ऐसा करो
सब पढ़े आगे बढ़े फिर यह धरा रोशन करें।
दूरियों को अब मिटा कर एक हो जाएँ सभी
हो सुखी परिवार अपना आसना रोशन करें।
बात को आलोक अब फिर भूल जाओ इस कदर
आज फिर हम प्रेम का ये दायरा रोशन करें।