ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्यार की बरसात में भीगा बदन
उफ़! पुलक पैदा करे तेरी छुअन।
यकबयक सिमटा बदन तो यूं लगा
आ रही जैसे तुझे छूकर पवन।
प्यार के नगमें रहे हम गुनगुना
झूम कर गाने लगा सारा चमन।
इल्तज़ा तुझसे यही बहरे खुदा
बीत सावन जाय ना आ जा सजन।
प्यार की बरसात में भीगा बदन
उफ़! पुलक पैदा करे तेरी छुअन।
यकबयक सिमटा बदन तो यूं लगा
आ रही जैसे तुझे छूकर पवन।
प्यार के नगमें रहे हम गुनगुना
झूम कर गाने लगा सारा चमन।
इल्तज़ा तुझसे यही बहरे खुदा
बीत सावन जाय ना आ जा सजन।