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Niraj Sharma

Romance

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Niraj Sharma

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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प्यार की बरसात में भीगा बदन

उफ़! पुलक पैदा करे तेरी छुअन।


यकबयक सिमटा बदन तो यूं लगा

आ रही जैसे तुझे छूकर पवन।


प्यार के नगमें रहे हम गुनगुना

झूम कर गाने लगा सारा चमन।


इल्तज़ा तुझसे यही बहरे खुदा

बीत सावन जाय ना आ जा सजन।


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