हसीनों के गिरफ़्त में ना आना कभी,
जो जज़्बात ईमान चुराएँ,
उन्हे ना आजमाना कभी!
ये ज़िंदगी तो वो रेत का सफ़र है,
जहाँ नज़रें भी वफ़ा नहीं करती,
जो सराब दिखे,
तो उस ओर ना जाना कभी!
इसे दुआ मानो या बद्दुआ,
जो रास्तों की कमी, कभी ना होगी तुझे,
इम्तिहां तो तू खुद लेता है खुद का,
बढ़े ना कदम उस रास्ते पे,
जो मुकाम तुझे ना पाना कभी!
हसीनों के गिरफ़्त में ना आना कभी!