VEENU AHUJA
Abstract
वो
ऊंचाई से
गिरता
पानी का झरना
कहते जाता है
गिरना
भी
खुबसूरत
हो सकता है .
निहारो तो . सही . . ।
जिद्दी होती ल...
इश्क
एक पल
जिन्दगी ..
प्रेम
मेरा शहर
इठलाओ ..माँ
इंतजार
शर्म
शून्य
कभी अगर बोल पड़े ये पेड़ कयामत ले आएगा ये पेड़। कभी अगर बोल पड़े ये पेड़ कयामत ले आएगा ये पेड़।
पवन धरा की लक्ष्मी तेज चमकीली धूप पवन धरा की लक्ष्मी तेज चमकीली धूप
कौन कहता है ये संताप है सब अपना हीं प्रेम प्रताप है कौन कहता है ये संताप है सब अपना हीं प्रेम प्रताप है
मैं गुज़र रहा हूँ किस तरह ये दुनिया को बताऊँ कैसे। मैं गुज़र रहा हूँ किस तरह ये दुनिया को बताऊँ कैसे।
सबकी जिम्मेदारी 'युद्धवीर' करना इसका बेडागर्क है। सबकी जिम्मेदारी 'युद्धवीर' करना इसका बेडागर्क है।
अपने कपड़े और खिलौने देकर उन्हें भी सवार दूँ। अपने कपड़े और खिलौने देकर उन्हें भी सवार दूँ।
हर शब्द मे जीना , हर शब्द मे उठना है। हर शब्द मे जीना , हर शब्द मे उठना है।
वो समझ पाये मुझको उतना बुरा भी नहीं मैं जितना उसने समझा खामोशियाँ भी बता जाती है वो समझ पाये मुझको उतना बुरा भी नहीं मैं जितना उसने समझा खामोशियाँ ...
शब्दों में उतारू कैसे उसके भावार्थ को वो हमे सिखाते-सिखाते अब बूढ़ी हो गई शब्दों में उतारू कैसे उसके भावार्थ को वो हमे सिखाते-सिखाते अब बूढ़ी ह...
मैं खुद को तिनके में मिटाता रहा। आज उम्र के इस दौर में आकर, लोग कहते हैं किया क्या मैं खुद को तिनके में मिटाता रहा। आज उम्र के इस दौर में आकर, लोग कहते हैं...
जिस दिन कवि के द्वारा, सत्ता को पूजा जाता है। जिस दिन कवि के द्वारा, सत्ता को पूजा जाता है।
"यह लेखनी आज भले कोई ना समझे कल के लिए धरोहर मैंने रख दिया !" "यह लेखनी आज भले कोई ना समझे कल के लिए धरोहर मैंने रख दिया !"
पर तुझमे ख़ुदा को पाया है तू ख़ुदा की सच्ची माया है। पर तुझमे ख़ुदा को पाया है तू ख़ुदा की सच्ची माया है।
यही वक़्त एक दिन न जाने कैसी दुश्मनी निकालता है हमे तो शून्य मे विलीन कर जाता है। यही वक़्त एक दिन न जाने कैसी दुश्मनी निकालता है हमे तो शून्य मे विलीन कर जाता...
हमरी आँख के आँसू के मोल तू का जनबू यार टुटल घाव दिल के कूदेरल ठीक नइखे। हमरी आँख के आँसू के मोल तू का जनबू यार टुटल घाव दिल के कूदेरल ठीक नइखे।
उनके जीवन के मूल्यों में, मैं ही तो हूँ। हे ! पुरुष... यकीनन मैं नारी हूँ। उनके जीवन के मूल्यों में, मैं ही तो हूँ। हे ! पुरुष... यकीनन मैं नार...
हवाओं का भी रुख कभी तू खुद को ढूंढने निकल। हवाओं का भी रुख कभी तू खुद को ढूंढने निकल।
मैं नहीं बेचारी मैं हूँ आज की सशक्त नारी। मैं नहीं बेचारी मैं हूँ आज की सशक्त नारी।
निर्मल, निर्झर बहती नित निरंतर नदिया झरने सागर पर्वत अचल अस्तित्व का मान निर्मल, निर्झर बहती नित निरंतर नदिया झरने सागर पर्वत अचल अस्तित्व का मान
कुछ कह कर आये, कुछ सुन कर आये, आय तो सही। कुछ कह कर आये, कुछ सुन कर आये, आय तो सही।