गीतिका छंद...
गीतिका छंद...
मापनी-
(2122 212 2,2122 212)
याद माॅं की आ रही है, नीर नैनों से झरे ।
यातना मॉं को मिले जो, पाप से ही नित मरे ।।
बालपन का ध्यान करके, फूल प्यारा ही खिले ।
मात चरणों में मुझे तो ,प्रीत आकर खुद मिले ।।
मापनी-
(2122 212 2,2122 212)
याद माॅं की आ रही है, नीर नैनों से झरे ।
यातना मॉं को मिले जो, पाप से ही नित मरे ।।
बालपन का ध्यान करके, फूल प्यारा ही खिले ।
मात चरणों में मुझे तो ,प्रीत आकर खुद मिले ।।