गहरे थे ज़ख़्म
गहरे थे ज़ख़्म
गहरे थे ज़ख़्म हमारे वो
मरहम लगाना भूल गयीं,
हम चले थे साथ वो किनारे
पर आना भूल गयीं।
सिलसिला हमारा जब
थमा नहीं बात भूल गयीं,
क्या करें गुज़ारिश हम वो
पास आना भूल गयीं।
गहरे थे ज़ख़्म हमारे वो
मरहम लगाना भूल गयीं,
हम चले थे साथ वो किनारे
पर आना भूल गयीं।
सिलसिला हमारा जब
थमा नहीं बात भूल गयीं,
क्या करें गुज़ारिश हम वो
पास आना भूल गयीं।