ग़ालिब का न शेर सही
ग़ालिब का न शेर सही
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उस ग़ालिब का न शेर सही,
बस तेरी कहानी बन जाऊंगा।
माथे का टीका न बना कभी तो,
तेरी आँख का पानी हो जाऊंगा।
अस्तित्व मिटा दूंगा मैं अपना,
तेरे बस एक दर्द की खातिर।
आंसू के तेरे गिरने से पहले,
मैं बन के स्याही बह जाऊंगा।
उस ग़ालिब का न शेर सही,
बस तेरी कहानी बन जाऊंगा।