STORYMIRROR

Shayra dr. Zeenat ahsaan

Abstract Inspirational

4  

Shayra dr. Zeenat ahsaan

Abstract Inspirational

घड़ी

घड़ी

1 min
223

Prompt-4

बजा के घंटी वो हर एक को जगाती है  

अपनी ड्यूटी बखूबी वो निभाती है  

 कहीं भी जाना हो हर इक को वक़्त से पहले 

 हमारी मां की तरह हमको वो उठाती है 


वो घर हो या कि हो दीवार या हो मोबाइल

वो ऑफिसों में भी टिक टिक हमें सुनाती है

सवेरे दादा के संग घूमने वो जाती है 

और साथ दादी को मंदिर भी ले के जाती है


 कभी वो दीदी के टेबल पर मुस्कुराती है

 कभी कलाई में मां के वो चमचमाती है

 अज़ान, आरती सब कुछ इसी के दम से

 सभी को वक्त सही ये ही तो बताती है 


जो इसके साथ कदम को मिला के चलते हैं 

ये ऐसे लोगों की फिर शान को बढ़ाती है 

हमेशा सब की ज़रूरत ये बन के रहती है 

ये सारी दुनिया को टिकटिक से ही चलाती है


सब से रिश्ता ये एक सा निभाती है

घर की ज़ीनत है ये सबको भाती हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract