Sudhirkumarpannalal Pratibha
Abstract Inspirational Thriller
घाव
हरा
रहता
है
तबतक
जबतक
उसपर
प्रेम
का
मरहम
नहीं
लगता
लगते हीं
सूख
जाता है
और
एक
समय
ऐसा
आता है
अस्तित्वहीन
हो
जाता है।
प्रेम और नफरत
प्रेम को परिभ...
नजरिया
कहानी की परिभ...
यादों में ठहर...
प्रेम की पवित...
बेवजह इजहार क...
आप आजाद हो
यह जीवन रंगबि...
जैन धर्मी अनुयायी करे जैन धर्म चिंतन, हर्षोल्हास से मनाकर पर्युषण पर्व, दस धर्म दस द जैन धर्मी अनुयायी करे जैन धर्म चिंतन, हर्षोल्हास से मनाकर पर्युषण पर्व, दस ...
चॉक्लेट चूरन तेल साबुन खबरों वाले अब अख़बार नहीं होते। चॉक्लेट चूरन तेल साबुन खबरों वाले अब अख़बार नहीं होते।
इसके प्रभाव से सामाजिक उत्थान हुआ एक दौड़ की परिधियों के पार हुई। इसके प्रभाव से सामाजिक उत्थान हुआ एक दौड़ की परिधियों के पार हुई।
मैं और कुछ नहीं जानती बस इतना जानती हूँ कि उसने प्रेम किया था। मैं और कुछ नहीं जानती बस इतना जानती हूँ कि उसने प्रेम किया था।
तुम्हारा खड़ा होना, मेरे मन की चौखट पर और मेरे इंतजार का बिखरना, तुम्हारे पैरों के नीचे एक ... तुम्हारा खड़ा होना, मेरे मन की चौखट पर और मेरे इंतजार का बिखरना, तुम्हा...
हर दिल में होती है एक ख्वाबों खयालों की दुनिया । हर दिल में होती है एक ख्वाबों खयालों की दुनिया ।
जीवन के बाद शायद परीक्षाओं का अंत हो, हर मौसम लगे जैसे बसंत हो। जीवन के बाद शायद परीक्षाओं का अंत हो, हर मौसम लगे जैसे बसंत हो।
इस भौतिक संसार में, धन का बहुत महत्व। इस भौतिक संसार में, धन का बहुत महत्व।
ज़िंदगी कब सरल थी हुई, कब मैं इतनी विरल थी हुई ज़िंदगी कब सरल थी हुई, कब मैं इतनी विरल थी हुई
बस खाना - डरना और जनना, इतने में ही, इंसान क्यों पड़ा है? बस खाना - डरना और जनना, इतने में ही, इंसान क्यों पड़ा है?
पाँव अब रुकने नहीं हैं चाहे झँझावात हो। पाँव अब रुकने नहीं हैं चाहे झँझावात हो।
गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक महसूस किय गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक ...
दे जाती है मुझे शब्द और मेरी कल्पना का अविरल रूप बन जाती है। दे जाती है मुझे शब्द और मेरी कल्पना का अविरल रूप बन जाती है।
हमने अंग्रेज़ी में सोचना सीख लिया है, पर हम महसूस हिंदुस्तानी में करते हैं. हमने अंग्रेज़ी में सोचना सीख लिया है, पर हम महसूस हिंदुस्तानी में करते हैं.
थम सी जाती ज़िन्दगी और समय चक्र मुस्कुराता कहीं थम सी जाती ज़िन्दगी और समय चक्र मुस्कुराता कहीं
सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं
शब्दों की अपनी गरिमा है, भावों की अनुपम महिमा है। मृदु मंत्रों के पुष्पहार से, अनघ हृद... शब्दों की अपनी गरिमा है, भावों की अनुपम महिमा है। मृदु मंत्रों के पुष्...
लेकिन मेरा यकीं करो, मैंने सुनी है चीख उन पंछियों की जिनके पर कतर दिए गए : लेकिन मेरा यकीं करो, मैंने सुनी है चीख उन पंछियों की जिनके पर कतर दिए गए :
प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार। प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार।
शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बेटियाँ। शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बे...