गौरैया
गौरैया
आज सवेरे गौरैया आई,
मुंडेर पर बैठी फिर मुस्काई,
सवेरे-सवेरे मुंडेर पर यह
मुलाकात कितना अच्छा है।
सवेरे की ठंडी हवा,
और तेरी अमराई,
मुझे बहुत लुभाते हैं,
पास अपने बुलाते हैं।
मैंने कहा तेरा आना,
मेरे आशियाने में,
मुझे भी तो लुभाता है,
मैं खुश हो जाता है।
आ जाती हूँ मुंडेर में
तुझसे मिलने वो चिड़िया
ना जाने कब तू उड़ जाए
और मैं विदा हो जाऊं,
जब तक है दोनों
मिलते रहेंगे मुंडेर में
हाँ यूँ ही मुंडेर में।