STORYMIRROR

Hansa Shukla

Abstract

2  

Hansa Shukla

Abstract

शाम

शाम

1 min
3.0K

डिअर डायरी ,

गोधूली बेला में,सब घर वापस आ रहे थे,

सूरज छुप रहा था आसमान में,

पक्षी घोसले में जा रहे थे,

कितना सूंदर नयनाभिराम दृश्य था,

प्रकति में भी जैसे मिलन का उल्लास था

मन करता था समय इस पल यही रुक जाए,

धरती भी आज धानी चुनर ओढ़कर इठलाये।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract