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बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Abstract

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बिमल तिवारी "आत्मबोध"

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गाँव का चुनाव

गाँव का चुनाव

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नई नई मेलजोल नई  भक्ति भाव देखिए

नई नई बोलठोल नई  शक्ति ताव देखिए

नई नई झोलतोल नई अनुरक्ति चाव देखिए

आ गया हैं गाँव में, गांव का चुनाव देखिए।


नईं नईं हस्तियों का नया नया बवाल देखिए

नई नईं मस्तियों और नया इंकलाब देखिए

नई सरपरस्ती नया रोज़ सवाल देखिए

आ गया है गांव में, गांव का चुनाव देखिए


नई नई मित्रता का नया नया लगाव देखिए

नई नई शत्रुता का नया अंज़ाम देखिए

नई नई उष्णता का कोई नया पड़ाव देखिए

आ गया हैं गांव में, गांव का चुनाव देखिए


>अपनें उनके रिश्तों का नया इम्तिहान देखिए

या नए रिश्तों का नया पहचान देखिए

चुनाव तक साथियों का मान स्वाभिमान देखिए

आ गया है गांव में, गॉंव का चुनाव देखिए


रोज़ साज़ बाज़ का बोल बात गान देखिए

ख़ुद ना बदलनें वाले का नया अंदाज़ देखिए

गांव घर बदलने का रोज़ नया ज़बान देखिए

आ गया हैं गाँव में, गाँव का चुनाव देखिए


रोज़ भोज भात का अपना नया बुलाव देखिए

अपनें नित चरणों में उनका बस झुकाव देखिए

उनका ये व्यवहार बस चुनाव तक पास देखिए

फ़िर उनके दबे दुबे रूप का उफ़ान देखिए


बदलेगा क़भी नहीं गांव का वो हाल देखिए

आ गया हैं गांव में ,गाँव का चुनाव देखिए ।।


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