एकता
एकता
जात - पात, रंग रूप,
आज यही हमें बनाती है।
क्या हमारा धर्म हमें चुनता है ?
के यह देश हमें सुनाता है।
नीची जात की संख्या भी
ऊंची जाति लोगों से ज्यादा है,
फिर भी क्यों ?
हमारे एकता का स्वर
अनसुना चला जाता है।
जात - पात, रंग रूप,
आज यही हमें बनाती है।
क्या हमारा धर्म हमें चुनता है ?
के यह देश हमें सुनाता है।
नीची जात की संख्या भी
ऊंची जाति लोगों से ज्यादा है,
फिर भी क्यों ?
हमारे एकता का स्वर
अनसुना चला जाता है।