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Vikash Kumar

Abstract

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Vikash Kumar

Abstract

एक विचार उछाला जायेगा।

एक विचार उछाला जायेगा।

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एक दिन आयेगा ऐसा भी सच  

को झुठलाया जायेगा,

एक विचार को मारा जायेगा

एक विचार उछाला जायेगा,


फिर धुरी बनेंगे हम सब उसकी

चकरी को घुमाया जाएगा,

विपरीत ध्रुवों को आदमियत की

नजरों से गिराया जायेगा,


कुचल कुचल कर रक्त बहेगा,

झूठों को पिलाया जाएगा,

एक सत्ता के खातिर झूठ का

कद बढ़वाया जाएगा, 


जो भी सच का दामन पकड़े

वह हाथ चुनौती सत्ता का,

कलम छीन कर उन हाथों को

कंधों से उखाड़ा जायेगा,


एक विचार को मारा जायेगा,

एक विचार उछाला जाएगा।


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