एक सैनिक का प्रेम पत्र
एक सैनिक का प्रेम पत्र
है चारों तरफ मेरे गोले-बारूद की बौछारें,
कैसे दूंगा मैं तुझको ऊँचे महल-चौबारे।
विपदा पड़ेगी जब भारत माता पर भारी,
निभानी होगी मुझको देश के प्रति जिम्मेदारी।
कठिन परिस्थितयों में अगर तुम कभी न घबराओ,
तभी प्रिय तुम मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाओ।
हौसला रख जीवन में पग-पग बढ़ते जाना होगा,
हमको देश के प्रति है अपना कर्ज चुकाना होगा।
वतन की रखवाली करते हुए मिल जाए जो शहादत,
मुस्कुराना और हार मत मानना जीवन में अंत तक।
संयम रख पाओ इतना, अगर जीवन में मेरे हमदम,
तभी संग चलने को मेरी राहों पर, तुम उठाना कदम।
मेरा जीवन तो है एक बंजारे का बसेरा,
इसमें भरना होगा तुम्हें एक नया सवेरा,
नहीं दिखा सकता तुम्हें कोई हसीन सपना,
हर कदम पर प्रिय तुम मेरा साथ रहना।