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RASHI SRIVASTAVA

Abstract

5.0  

RASHI SRIVASTAVA

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एक पिता

एक पिता

2 mins
383


पिता स्रोत हैं शक्ति के, पिता से मिलता है संबल 

उनके प्रेम से मुखरित होता, है जीवन का हर एक पल 


संतान की इच्छा पूरी करना, अपना ध्येय बना लेते

उसके लक्ष्य को ही अपने, जीवन का लक्ष्य बना लेते

कामयाब समझते खुद को, होती जब संतान सफल

उनके प्रेम से मुखरित होता, है जीवन का हर एक पल 


उनका भी अल्हड़ बचपन था, करते वो भी शैतानी थे

बेपरवाह घूमते थे, सुनते परियों की कहानी थे 

पिता की पदवी मिलते ही, खुद को कैसे देते हैं बदल

उनके प्रेम से मुखरित होता, है जीवन का हर एक पल 


खुशियों में खुश हो जाते हैं, दिल खोलके जश्न मनाते हैं

कभी भी दुखता है जो दिल, एकांत में आंसू बहाते हैं 

पूरे हों ख्वाब संतान के, खुद के अरमां देते हैं मसल

उनके प्रेम से मुखरित होता, है जीवन का हर पल 


जिन्हें कोई झुका नहीं सकता, वे घोड़ा हाथी बन जाते हैं 

छोटे-छोटे अपने बच्चों की, वे सवारी बन जाते हैं

सारी थकान मिट जाती जब, देखते हैं बच्चों की शकल

उनके प्रेम से मुखरित होता, है जीवन का हर एक पल 


घर का खर्च चलाने को, दिन रात एक कर देते हैं 

बच्चों का भविष्य बनाने को, अपने 'आज' दे देते हैं

मुश्किल ना आए परिवार पे, बन जाते दीवार अटल

उनके प्रेम से मुखरित होता है जीवन का हर एक पल 


पिता स्रोत हैं शक्ति के, पिता से मिलता है संबल 

उनके प्रेम से मुखरित होता, है जीवन का हर एक पल


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