Chitra Arun

Abstract

4.7  

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एक फोटोग्राफर की प्रेम कहानी

एक फोटोग्राफर की प्रेम कहानी

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इश्क़ एक एहसास है

किसी को भी बेवज़ह किसी से भी हो जाता है।

इंसान को इंसान से,

इंसान को प्रकृति के साथ प्रेम हो जाता है। 

सोचती हूँ, क्या इंसान को कैमरा से प्यार होता होगा?

शायद, होता होगा।

फोटोग्राफर को अपने कैमरे को निहारते कई बार देखा है मैंने,

देखते-देखते अक़्सर बेसबब मुस्कुरातें हुए देखा है मैंने।

नज़ारे खूबसूरत हो न हो,

फोटोग्राफर की गरम गरम सांसे,

कैमरे को चूमते हुए देखा है मैंने।

अपने इश्क़ में दोनों,

ज़िंदगी को कैद करते हुए,

रंगीन बनाते हुए देखा है मैंने।

अब तो प्रकृति भी जान चुकी है,

ये दो प्रेमियों का दिल का आलम।

अब जब भी फोटोग्राफर कैमरे को 

अपने  आहोश में लेता है,

खिलखिला उठती है प्रकृति,

देखकर इन दोनों की 

प्रेम कहानी।

लम्हों को ऐसे कैद कर लेते हैं ये दोनों

तस्वीर बनकर यादों के रूह में उतर जाते हैं।

ज़िन्दगी तो आगे निकल जाती है,

गुज़रा हुआ वो प्यार भरा पल,

एक निशानी बन,

बस तस्वीर में कैद हो जाती हैं।

ये दो प्रेमी हमें सीख दे जाते हैं,

कैसे ज़िन्दगी के हर पल को जिया जाए,

कैसे यादों को रंगीन तस्वीरों में कैद किया जाए।

काश हुम सब फोटोग्राफर होते,

तो हर चीज़ हमें हसीन लगता,

हर पल को हम एक खूबसूरत तसवीर बना लेते।


चित्रा अरुण



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