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Pramish Abhishek

Romance

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Pramish Abhishek

Romance

एक कोना मेरा भी

एक कोना मेरा भी

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हां माना तुम हो बेफिक्र

हो बेखबर मेरी बातों से।

सच्ची मोहब्बत लाया था मैं

फ़िर भी रह गए तुम अंजान मेरे जज्बातों से।


एक दिल का कमरा था मेरा

और एक उम्मीद थी उसमें तुमसे मोहब्बत की।

बातें सब ख़ाकसार सी रह गई

और फना हो गई ये आरज़ू भी।


हो गया हूं, अब मैं भी मशगूल

इस मोह पाश की इस दुनिया में।

मिले फ़ुरसत कभी तो अपना दिल टटोलना

हो जाये ये दुनिया कितनी नकली भी।

शायद एक कोना मेरा तब भी हो वहा

जो याद दिला दे तुझे

मेरी सच्ची मोहब्बत की

मेरी सच्ची मोहब्बत की।



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