STORYMIRROR

Sushmita Singh

Abstract Inspirational

4  

Sushmita Singh

Abstract Inspirational

एक ज्योति प्रेम की..

एक ज्योति प्रेम की..

1 min
369

एक ज्योति प्रेम की मन में रखना, 

बाहर दीपों की माला।  

प्रेम बिखेरे अंदर खुशियां

बाहर दीपों की माला!


हर-दर, हर-घर, बाहर-भीतर,

उजियारा चहुं ओर फैलें।

द्वार-द्वार पर सजे रंगोली, 

निर्मल हो जाएं मन मैले।


आनंदित मेल करें मन को,

बाहर दीपों की माला!


राजा हो या रंक का घर, 

नव दीप जले सुंदर-सुंदर।

तुलसी के बिरवा के तले,

छज्जे, छत और द्वारों पर।


धर्म-कर्म मन को सुकून दे! 

बाहर दीपों की माला...!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract