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Sushmita Singh

Children Stories

4  

Sushmita Singh

Children Stories

सिक्का..

सिक्का..

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नन्हें बच्चे को जब देखा 

चंद सिक्कों के साथ !

चहक रहा था नन्हा बचपन 

मिली हो ज्यूँ सौगात !


सिक्का फिसला दूर जा गिरा 

पीछे नन्हीं जान! 

सिक्का ही अब उसको लगता 

जीवन की पहचान! 


कभी उठाता कभी गिराता 

रहा नींद भर साथ !

इतनी कसकर बांधी मुट्ठी

छुड़ा न पाए हाथ!


छला गया फिर भोला बचपन 

सिक्कों में बस गई जान !

मन आहत हो रहा देखता

खोता बचपन पहचान !



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