एक ज़िंदगी
एक ज़िंदगी
एक ज़िंदगी मेरी सौ सपने मैं करा
मैं करा अपने मन की
कभी दुनियां की कभी अपनों की
सुन कर करूँ मैं अपने दिल की
मै जैसी हूं मैं जैसी हूं
किताबों के पनों सी कोमल
ख़्वाबों में जान हैं तो रोक हैं
करना तो मुझे मन की
शक्ति की शान हूं यही तो पहचान हूं
फ़िर भी अभिशाप हूं
ना मैं हूं एक ख्वाब की शहजादी
मैं पूरी मैं पूरी करा अपनी दिल की।